गो रक्षा दल हरियाणा का इतिहास
भारत देश एक वैदिक धर्म को मानने वाला राष्ट्र है जिसमे जीवन जीने की शैली वेदों के अनुसार है परन्तु जैसे जैसे समय बिता वेद ज्ञान का अभाव हुआ और अन्य पाखण्डों का प्रार्दथव हुआ इतना सब कुछ होते हुये भी वेदों के अनुसार गाय को सभी ने माता का स्थान दिया | वेदों के लुप्त प्राय: ज्ञान को दोबारा इस संसार में फैलाने वाले महर्षि स्वामी दयानंद जी महाराज ने आर्य समाज की स्थापना करके आर्यों को पुन: गाय की रक्षा के लिए प्रेरित किया और गोकरुणानिधि नामक ग्रन्थ लिख दिया और कहा वेद में गाय को अधन्या कहा है | इसलिए गो माता की हत्या नही होनी चाहिए | ऐसी परंपरा का निर्वहन करते हुए पूज्य आचार्य बलदेव जी महाराज ने हरियाणा प्रदेश में गाय की दुर्दशा व उसकी हत्या के बारे में सोचते हुए जीवन को गोरक्षा में समर्पित कर दिया | और गो रक्षा सेना बनाकर हरियाणा प्रान्त में गोशालाओं व गोरक्षा का अभियान शुरू कर दिया |
क्यों सोचा
पूज्य आचार्य बलदेव जी महाराज ने गुरुकुल कालवा के पास से कुछ लोग गायों को लेकर जा रहे थे पूछे जाने पर पता लगा की वे लोग इन गायों को काटने के लिए क़त्ल खाने में लेकर जा रहे है | वहीँ से प्रेरणा पाकर गोशाला धड़ौली जींद हरियाणा की स्थापना की तथा हरियाणा प्रान्त में गो रक्षा के लिए गो रक्षा सेना का गठन किया |
कब सोचा
सन १९९० ई में गोहत्या की ऐसी दशा को देखते हुए पुरे प्रान्त में गोरक्षा की मुहीम शुरू कर दी | सन १९९० ई से लेकर २०११ ई तक अनेक गोशालाए खोली तथा गोरक्षा सेना की अनेक टीमें गठित करके मेवात जैसे क्षेत्र में गोरक्षा की मुहीम चलाकर एक आदर्श स्थापित किया |
किसने बनाया
ईसी आदर्श को आगे बढ़ाने के लिए आचार्ये योगेन्द्र आर्य तथा आचार्ये सर्वमित्र आर्य ने गोरक्षा सेना संगठन को गोरक्षा दल हरियाणा के नाम से आगे बढ़ाना शुरू किया |
हरियाणा में गोरक्षा दल हरियाणा के नाम से संगठन का रजिस्ट्रेशन करवाया | गोरक्षा दल के नाम से अन्य प्रांतों में संगठन चल रहे थे | सबसे पहले पंजाब के प्रधान श्री सतीश जी से भेंट हुई | जो इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम से जाने जाते है |
1. संगठन का रजिस्ट्रेशन -14/2013 2. संगठन में कार्यकर्ताओं की संख्या - 4500 लगभग
संगठन के संघर्ष के पल
जैसे ही हमने संगठन का कार्य प्रारम्भ किया तो बरवाला की गोरक्षा दल की टीम ने सुबह सुबह ही अग्रोहा में मिलना हुआ | उन्होंने कहा आचार्य जी बहुत गाय व बैल रातों रात तस्करी हो जाती है | हमने कहा हम अब इस काम को पूर्ण से बंद करवाएंगें | बस उसी दिन से आचार्य सर्वमित्र व गोरक्षा दल हरियाणा की कार्यकारिणी ने दिन रात एक कर दिया और हजारों गोवंश को कसाइयों से छुड़वाकर गोशालाओं में शरण दिलवाई| इस कार्य को करते हुए अनुभव हुआ की हरियाणा में लगने वाले पशु मेले तस्करी के सबसे बड़े अड्डे है | पशु मेलों की जैसे ही जानकारी प्राप्त की तो पता लगा प्रशासन द्वारा ही लगाये जाते है| बस मेलों में ही संघर्ष शुरू हो गया | सबसे पहले झज्जर के जहाजग़ढ गाव में लगने वाले मेले में पता चला की वहां से २ हजार के लगभग बैल उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के क़त्ल खानों में भेजे जायेंगे गोरक्षा दल हरियाणा के युवकों के साथ मेले के चारों और घेरे बंदी की और संघर्ष हुआ जिसमे गांव वालों से भी झगड़ा हुआ २ गाड़ियां टूटी , चोटें आई , परन्तु गोवंश की रक्षा करना ही गो रक्षा दल हरियाणा का मुख्य उद्देश्य है | मेले से सैकड़ों की संख्या में गोवंश छुड़वाया | ईसी प्रकार अनेकों मेलों में झगड़ा हुआ और गो वंश की रक्षा करते रहे | परिणाम यह हुआ की गो रक्षा दल हरियाणा द्वारा हरियाणा में मेलों में गोवंश पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया | फिर अनुभव हुआ की बागड़ी लोहार (बंजारे ) पैदल गोवंश की तस्करी करने लगे है | फिर संघर्ष हुआ और इस कार्य में भी सफलता मिली | हरियाणा से अन्य प्रांतो में भी गोरक्षा दल ने क़त्ल खाने व मेलों से गोवंश की रक्षा करने का सरहनीय कार्य किया है | जैसे गोवा का क़त्ल खाना , राजस्थान का पुष्कर मेला , कलकत्ता आदि स्थानों पर जाकर गोरक्षा की अलख जग रहे |